tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post7405729136894840285..comments2023-12-04T23:04:56.362-08:00Comments on अस्सी चौराहा: कविता की दुनिया में एक नई आवाज़ : नामवर सिंहरामाज्ञा शशिधरhttp://www.blogger.com/profile/17268266467005907983noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-28990153735500771772012-03-07T04:05:00.504-08:002012-03-07T04:05:00.504-08:00नामवर जी की टिपण्णी अपने आप में एक बहुत बड़ा ce...नामवर जी की टिपण्णी अपने आप में एक बहुत बड़ा certificate है शशिधर जी के लिए | गंगनाहोनी जैसे देशज शब्दों के प्रयोग में माहिर है शशिधर जी | थोड़े आलसी हैं लिखते कम हैं | मेरी तरफ से हार्दिक बधाई |Pankaj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/07117290917381597257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-12799983893294409242012-03-05T12:27:56.941-08:002012-03-05T12:27:56.941-08:00भाई रामाज्ञा जी के बहुचर्चित काव्य संग्रह 'बुर...भाई रामाज्ञा जी के बहुचर्चित काव्य संग्रह 'बुरे समय में नींद' पर हमारे वक्त के मूर्धन्य आलोचक नामवर सिंह जी ने बेहद सटीक टिप्पणी की है. ...लेकिन मुझे लगता है कि धूमिल की परम्परा का कवि बताकर नामवर जी ने भाई रामाज्ञा जी के सामने एक चुनौती भी पेश की है. हाँ, मेरी जानकारी में कई साल पहले नामवर जी ने मेरे बेहद आत्मीय संजय कुंदन जी के काव्य संग्रह 'काग़ज़ के प्रदेश में' की कविताओं पर टिप्पणी करते हुए सार्वजनिक मंच से कुछ ऐसी ही टिप्पणी की थी और उन्हें भी धूमिल की परम्परा का कवि बताया था. संभव हो, आदरणीय नामवर जी अपनी सोच के प्रति ईमानदार हों...लेकिन क्यूंकि धूमिल की परम्परा बहुत अच्छी नहीं मानी जाती हिंदी समाज में इसलिए भाई रामाज्ञा जी नामवर जी की इस टिप्पणी को संजीदगी से लें. मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं. शुक्रिया. - शशिकांतदीवान-ए-आमhttps://www.blogger.com/profile/04490796928850970507noreply@blogger.com