tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post3309928541243098610..comments2023-12-04T23:04:56.362-08:00Comments on अस्सी चौराहा: लमही:खेत से आते हैं फांसी के धागेरामाज्ञा शशिधरhttp://www.blogger.com/profile/17268266467005907983noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-80138643908888804842011-08-24T21:00:01.218-07:002011-08-24T21:00:01.218-07:00हार्ट अटैक वाली बात कोई मजाक नहीं लगती। शशिधर की क...हार्ट अटैक वाली बात कोई मजाक नहीं लगती। शशिधर की कविता की दो-चार पंक्तियाँ ही बड़ी ताकतवर लग रही हैं। लमही की यात्रा के लिए आप दोनों का आभार। लेकिन यह गाँव तो प्रेमचन्द का ही लगता है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-49012563042876374832011-07-31T23:41:17.201-07:002011-07-31T23:41:17.201-07:00राजीव जी और प्रमोद जी को इस प्रयास के लिए साधुबाद ...राजीव जी और प्रमोद जी को इस प्रयास के लिए साधुबाद ...<br /> कितने आश्चर्य की बात है कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गाँव की ये दशा ! जिनके कहानी का पात्र आम आदमी है जो गरीब और पिछडा वर्ग से आता है . उस आम आदमी को ही मुंशी जी के विषय में नहीं मालूम !!! <br />इस प्रश्न का जवाब कौन देगा ...सरकार, बुद्धिजीवी, या हम और आप !<br />आखिर कौन???सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/01616166046914725214noreply@blogger.com