tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post4790628128924674833..comments2023-12-04T23:04:56.362-08:00Comments on अस्सी चौराहा: तानाशाही के दौर में जादुई यथार्थवाद पर बहस जरूरी है : पंकज बिष्ट रामाज्ञा शशिधरhttp://www.blogger.com/profile/17268266467005907983noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-21474233237813249602014-07-09T03:31:35.603-07:002014-07-09T03:31:35.603-07:00भारतीय साहित्य खासकर हिंदी साहित्य के लिए यह बेहद ...भारतीय साहित्य खासकर हिंदी साहित्य के लिए यह बेहद जरूरी बहस है| ऐसे दौर में जब हिंदी साहित्य वैचारिक पिछड़ेपन का शिकार है और विश्व साहित्य से १०० साल पीछे चल रहा है मार्खेज़ के बनाने एक सार्थक पहल के लिए आपको हिंदी साहित्य जगत की ओर से धन्यवाद |मुझे जहाँ तक लगता है भाषा के मजदूर और सिपाही ही उसे पिछड़े पण का शिकार बनाते हैं|३५ भाषाओँ में ५ करोड़ प्रतियों में बिकने वाला उपन्यास क्या भाषा का मोहताज़ था नहीं|एक बेहतर विचार चाहे जिस भाषा में हो लोग स्वीकारते हैं| दरअसल वैचारिकता और साहित्य से ही भाषा का सम्मान है भाषा से साहित्य का उतना लेना देना नहीं है जितना कि दिखावा किया जाता है| हिंदी भी विश्वस्तरीय लेखन और लेखक के इंतज़ार में है |विश्व हिन्दी साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/10278183274909361459noreply@blogger.com