tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post5803931052734411292..comments2023-12-04T23:04:56.362-08:00Comments on अस्सी चौराहा: १२ लाख बुनकर मौत के मुहाने पर:जब करघे हुए खामोशरामाज्ञा शशिधरhttp://www.blogger.com/profile/17268266467005907983noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-9575000494719430672011-01-27T21:41:54.877-08:002011-01-27T21:41:54.877-08:00प्रणाम,
आपने बुनकरों की सजीव चित्रण किया है.
मैं ख...प्रणाम,<br />आपने बुनकरों की सजीव चित्रण किया है.<br />मैं खादी बुंकरों के बर्तमान और भविष्य पर काम कर रहा हूँ. इसमें आपका सहयोग की आशा रखता हूँ.<br />मो.09794033024(बनारस)<br />09764887628(वर्धा)डॉ पंकज कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09174663284165045411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-859654042828036662.post-10314038939750198522010-11-29T21:25:10.476-08:002010-11-29T21:25:10.476-08:00हम भी शामिल हैं इस लड़ाई में .........................हम भी शामिल हैं इस लड़ाई में .......................<br />ज़मीन बेचना, खून बेचना और कलेजे पर पत्थर रखकर अपने जिगर के टुकड़ों को सरे बाज़ार बेच देना वास्तव में किसी कहानी या नाटक का अंश नहीं बल्कि बनारसी बुनकरों की आपबीती है। बुनकरों की आपबीती इक्कीसवीं सदी की पहली दहाई में दोनों पोलोटिकल ब्राण्ड्स “शाइनिंग इंडिया” और “इनक्रेडिबल इंडिया” को मुंह चिढ़ाते हैं।<br />अब्दुल बिस्मिल्लाह ने झिनी-झिनी बीनी चदरिया में जो बिम्ब खींचा है, उसे बनारस वाले कम पसन्द करते थे, इन दिनों क्या हालात हैं, कुछ कह नहीं सकता। लेकिन कल की रैली की तस्वीरों को देखकर ऐसा समझा जा सकता है कि अब 1991 के आर्थिक सुधारों का मतलब बुनकर समाज को समझाया जा सकता है।<br />ढ़ेर सारी बातें हैं, जारी रहेंगी।<br />धन्यवाद के साथVaseem Akhtarhttps://www.blogger.com/profile/13936998274373635180noreply@blogger.com