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15 जून, 2011

कविता घाट:यह पलाश के फूलने का समय है



अब हत्यारा भी कविता लिख सकता है। कवि हैरान है कि यह कैसा खतरनाक समय है जब शिकारी का शिकार हो रहा है। जिस शिकारी के तीर से बाघ थर्रा उठता था और परम्परा शाबाशी देती थी- जोवार सिकारी बोंगा जोवार अर्थात शिकारी युवा तुम बहुत खूबसूरत हो- उसका हाँका लग रहा है। आदिवासी एक ऐसी चिड़िया की तरह है जिसे शिकारी दायीं अंगुलियों से गोली मारता है और बायीं अंगुलियों से कविता लिखता है। तड़पती हुई चिड़िया और हड़िया से मस्ती लेने के लिए बौद्धिक मेहमान विचार कोलाहल करते है, भोज सम्मान के बाद पुरस्कार, वातानुकूलित यात्रा भत्ता और ढेर सारे सुमनाक्षर समर्पित किए जाते हैं।


अनुज लुगुन
जंगल में कोयल कूक रही है
जाम की डालियों पर
पपीहे छुआ-छुई खेल रहे हैं
गिलहरियों की धमाचौकड़ी
पंडुकों की नींद तोड़ रही है
यह पलाश के फूलने का समय है।

यह पलाश के फूलने का समय है
उनके जूड़े में खोंसी हुई है
सखुए की टहनी
कानों में सरहुल की बाली
अखाड़े में इतराती हुई वे
किसी भी जवान मर्द से कह सकती हैं
अपने लिए एक दोना
हड़ियाँ का रस बचाए रखने के लिए
यह पलाश के फूलने का समय है।

यह पलाश के फूलने का समय है
उछलती हुईं वे
गोबर लीप रही हैं
उनका मन सिर पर ढोए
चुएँ के पानी की तरह छलक रहा है
सरना में पूजा के लिए
साखू के पत्ते परबांस के तिनके नचा रही हैं
यह पलाश के फूलने का समय है।
(2)
यह पलाश के फूलने का समय है
रेत पर बने बच्चों के घरौन्दों से
उठ रहा है धुआँ
हवाओं में घुल रही है बारूद
चट्टानों से रिसते पानी पर
सूरज की चमक लाल है और
जंगल की पगडंडियों में दिखाई पड़ता है दाँतेवाड़ा
यह पलाश के फूलने का समय है।

यह पलाश के फूलने का समय है
नियमागिरि से निकले नदी के तट पर
केन्दू पक कर लाल है
हट चुकी है मकड़े की जाली
गुफाओं को खबर है
खदानों में वेदान्ता का विज्ञापन टँगा है
साखू के सागर
सारण्डा की लहरों में
बिछ गई हैं बारूदी सुरंगें
हर दस्तक का रंग यहाँ लाल है
यह पलाश के फूलने का रामय है।

दूर-दूर तक
जंगल का हर कोना पलाश है
साखू पलाश है
केन्दू पलाश है
सागवान पलाश है
पलाश आग है
आग पलाश है
जंगल में पलाश के फूल को देख
आप भ्रमित हो सकते हैं कि
जंगल जल रहा है
जंगल में जलते आग को देख
आप कतई न समझें पलाश फूल रहा है
यह पलाश के फूलने का समय है और
जंगल जल रहा है।

1 टिप्पणी:

लीना मल्होत्रा ने कहा…

vartmaan sandrbho par likhi ek sundar aur sargarbhit kavita. badhai.