यह अस्सी पर खास तरह से बनती हुई चाय
है। पहले भट्ठी दूध पानी को खूब खौलाती
है।फिर वह गिलास में कूद पड़ता है। फिर छन्नी
में काले दाने बिछ जाते हैं।फिर केतली से
बूँद बूँद बौखलाया हुआ जल टहलने लगता है।काला रस तबतक टपकता है जबतक
गिलास का चेहरा गुस्सैल न हो जाए। अंत
में दिमाग ठंडा और जीभ मीठी करने के
लिए चीनी पेंदी में चुपचाप बैठ जाती है।
उधर एक घंटे से इंतज़ार में बैचेन दिल दिमाग आँख कान हाथ मुंह गिलास पर
झपट पड़ते हैं। फिर शुरू होती संसद
से सड़क तक पर बहस...उसे छोडिये।
फिलहाल अपनी धारा के हिसाब से भाजपाई
सपाई कांग्रेसी कम्युनिष्टि बसपाई गिलास
थाम लीजिये। इससे बाहर हैं तो बाहर
रहिये।संसद जारी है...
06 दिसंबर, 2017
पप्पू की चाय अड़ी से चाय की राजनीति सीखिए
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