【शहीद किसानों को अस्सी पर श्रद्धांजलि!】
किसान विरोधी तीन कानूनों के खिलाफ देश और प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन को कुचलने वाले हत्यारों के विरुद्ध बनारस की कल्लू की चाय अड़ी पर जन बुद्धिजीवियों ने गहरा शोक व्यक्त किया।
काशी के जन बुद्धिजीवियों ने देश के अन्नदाताओं के आंदोलन के समर्थन में देश की जनता से आह्वान किया कि वे अन्नदाता की मांगों को साथ दें ।
उन्होंने कहा कि गुलाम भारत में किसानों पर तरह तरह के अत्याचार होते थे,आज़ाद भारत में भी वही हाल है।गांधी के देश में सरकार और उसके लोग ही जब किसानों को कुचलने लगेंगे तब भारत का भविष्य अंधकारमय है।
उन्होंने मांग की कि तीनों कानून जल्द वापस लिये जाएं।
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किसान भारत का दूसरा पक्ष
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【बधाई हो इंडिया!】
ग्लोबल भुखमरी इंडेक्स में भारत पीछे से 15वें स्थान पर आ गया है।इससे ज्यादा भूखे देश अब सर्फ बदनसीब अफ्रीका महादेश के कुछ देश हैं।यह है 7 वर्षों में सबका साथ,सबका विकास।80 करोड़ आधार नम्बरों वाला भारत दाढ़ीवाला झोले में बुलडोज किसानों के खून पसीने से उपजाए 5 केजी अन्न लेकर नई संसद बनने की प्रतीक्षा कर रहा है।यह है स्टार्ट अप इंडिया,स्टैंड अप इंडिया,रन अप इंडिया,न्यू इंडिया,स्किल इंडिया,स्वच्छ इंडिया,करप्शन फ्री इंडिया,आत्मनिर्भर इंडिया।दूसरे शब्दों में न्यू आइडिया ऑफ ओल्डेस्ट इंडिया।यहां हर कोई एक ही गीत गा रहा है-
थाली उतनी की उतनी है
रोटी हो गई छोटी
कहती बूढ़ी काकी
मेरे गांव की!
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