आईसीटी पुनश्चर्या पाठ्यक्रम (२२ सित. से १२ अक्तू. २०१०),एएससी,बीएचयू के व्याख्यानों का सारांश
२३.०९.१० -१,२,३
सूचना व संचार प्रौद्योगिकी क्या है? इसकी संभावनाएं?ऐसी प्रौद्योगिकी जो तथ्यों, आंकड़ों,चित्रों,स्वरों,विडिओ, पाठ का संग्रहण,निर्माण,पुनर्निर्माण,परिवर्तन करे और उसकी वैज्ञानिक व्यवस्था दे वह सूचना प्रौद्योगिकी है. जो इन सूचनाओं का सम्प्रेषण और संवहन, संरक्षण और प्रदर्शन करे वह संचार प्रौद्योगिकी है.
विकासक्रम :
० १९८०-९०- डाटा प्रोसेसिंग, आदान-प्रदान
० १९९०-२०००-इ कामर्स , टेलीकाम ज्ञान
० २००५-......-बायोटेक,मोबाईल कामर्स, आईसीटी
आईसीटी की कार्यप्रणाली
० असीमित बैंडविथ
० उच्चतर गति
० बेतार पहुँच
आईसीटी के सेवा क्षेत्र
० मेडिकल ट्रांसक्रिप्सन
० कल सेंटर,बीपीओ
० वैध डाटाबेस प्रोसेसिंग
० बेंक-आफिस क्रिया कलाप
० डाटा प्रोसेसिंग
०डब्यू डब्ल्यू डब्ल्यू सेवा
० राजस्व सेवा
उच्चतर आईटी कुशलता क्या है?
० प्रोग्रामिंग कुशलता ० नेटवर्किंग ० साफ्टवेयर अभियांत्रिकी ० आपरेटिंग सिस्टम अवधारणा ० सामग्री सृजन
० व्यवसाय/ आउटसोर्सिंग अवधारणा
० राजस्व सेवा
उच्चतर आईटी कुशलता क्या है?
० प्रोग्रामिंग कुशलता ० नेटवर्किंग ० साफ्टवेयर अभियांत्रिकी ० आपरेटिंग सिस्टम अवधारणा ० सामग्री सृजन
० व्यवसाय/ आउटसोर्सिंग अवधारणा
आउट सोर्सिंग क्षेत्र में अवसर खिड़की
० बीपीओ( बिजिनेस प्रोसेस आउट सोर्सिंग) से आगे सोचिये
० केपीओ- नालेज प्रोसेस आउट सोर्सिंग
० एफपीओ- फिनान्सिअल प्रोसेस आउट सोर्सिंग
० एलपीओ- लीगल प्रोसेस औत सोर्सिंग
यह नालेज इकोनोमी युग है.
यह वर्चुअल इकोनोमी का युग hai
आईसीटी का इतिहासयह वर्चुअल इकोनोमी का युग hai
एक कहावत है-
लाल बुझक्कड़ बूझ गया और न बूझा कोय
पाँव में पत्थर बाँध के हिरना कूदा होय
-खेतों में उगे चिन्ह को केवल गांव का बूढा लाल बुझक्कड़ समझ पाया. वह हाथी के पैरों के निशान थे न कि
चक्की बंधे हिरन पांव के. सूचना और संचार यही समझ है.
पारंपरिक सूचना संचार - हल्दी,चावल,सुपारी,ढोल,पत्ते,कबूतर, ख़त,फरमान आदि.
क्रमिक विकास
० पूर्व-मेकेनिकल यंत्र ० मेकेनिकल यंत्र ० इलेक्ट्रो-मेकेनिकल यंत्र(१८४०-1940) ० इलेक्ट्रोनिकल यन्त्र(१९४०-अब तक )
कुछ जरूरी आविष्कार
० कागज-१०० एडी , चीन ० पहली कलम -९५३,अरब ० कबूतर से संवाद-११५०,बगदाद
० पहला कूरियर पोस्टल ० कम्प्युटर-१८९७ ० टेलीविजन-१९२७ ० कम्यूनिकेसन कम्प्यूटिंग-१९६९
० इंटरनेट , मोबाईल-१९८३ ० ब्राडबैंड-२००३ ० ब्लाग्स-२००५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें