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03 अक्तूबर, 2018

किसान आंदोलन की जरूरत क्यों है:रामाज्ञा शशिधर

🎤ओपन माइक🎤
📣किसान क्यों सड़कों पर आते हैं?📣
🌜रामाज्ञा शशिधर🌛
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🎤किसान की किसानी को सिस्टम ने घाटे का पेशा इसलिए बनाया है कि वे खेती छोड़ दे।
🎤कारपोरेट पूँजी क्रोनी और बिचौलिया पूँजी है जो बिना श्रम के दिन रात मोटी होना चाहती है।
🎤किसान की पूरी खेती यानी बीज,खाद,पेस्टिसाइड,बिजली,डीजल,मशीन  सब कुछ कारपोरेट के हाथों सरकार
ने सौंप दिया है।इनकी कीमत हर साल मनमानी बढ़ती है और उत्पाद की कीमत में लगभग ठहराव है।
🎤किसान  का 11 पैसे का आलू 20 रूपये के चिप्स में,3 रुपए का टमाटर 150 रुपए के साउस में,2 रुपए का मक्का 100 रुपए के पॉपकार्न में और 20 रुपए का मक्का 400 रुपए के कोर्नफ्लेक में बिकता है।बीच का माल बिचौलिया कारपोरेट खा जाता है।
🎤प्राइवेट सूदखोर महाजन और बैंक किसान को कर्ज देते हैं जो फाँसी का फंदा या सल्फास की टिकिया तक पहुंचा देते हैं।
🎤अबतक साढ़े तीन लाख किसानों ने सिस्टम की क्रूरता के कारण आत्महत्याएं की हैं।
🎤हाइब्रिड टमाटर की तरह हाइब्रिड राजनीति हो गई है।दोनों बेस्वादू बेरस और बर्गर फ्रेंडली आइटम हैं।
🎤स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट तुरंत लागू कर
किसान समुदाय को राहत दी जा सकती है।
🎤अमेरिका जैसा कारपोरेट संचालक देश अपने कुल 6 फीसदी किसान को 60 फीसदी सब्सिडिज् देता है और भारत जैसा कृषिप्रधान देश अपने 60 फीसदी किसानों को 6 फीसदी सब्सिडिज् देने में उदासीन है।
🎤पूंजीपति एनपीए घोटाला और लोन सब्सिडिज् से देश विदेश में मौज उड़ाते हैं और किसान हजार लाख रुपए कर्ज के कारण जेल आत्महत्या का शिकार होते हैं,यह सिस्टम का जनविरोधी चरित्र और कारपोरेट फ्रेंडशिप का साइन है।
🎤किसान के सामने आत्महत्या, खेती से विस्थापन या आंदोलन ही मुक्ति के मार्ग हैं।
🎤किसान को जाति धर्म से उठकर वर्ग संघर्ष करना होगा और दूध सब्जी अन्न की तरह अपना नेता पैदा करना होगा।
🎤समय आ गया है कि देश में किसान स्वराज्य के लिए गांधियन मार्क्सवाद की अवधारणा रखी जाए।

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