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25 अप्रैल, 2020

कोरोना डायरी:रामाज्ञा शशिधर

COVID19 का जवाब VC 20हैं!
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-ये मिस्टर VC हैं यानी Vitamin C साहब!
-अमृत की खान,सर्वगुण महान उर्फ आंवला साहबान!
-देह और आत्मा की प्रतिरोधी क्षमता के उस्ताद!
-त्वचा की दरार हो या आत्मा दोफाड़।सब की मरम्मत करे चलते हैं।
-भारतीय लोक में जनाब का रुतबा इतना है कि संतरा,निम्बू,आम,टमाटर सब इनके गुण के आगे पानी भरते हैं।
-आजकल कोरोना काल में तो इनका नाम महाकाल हो गया है।
-ये भौकाल से अलग हैं।
-अनेक लोग अनेक किसिम से इनका उपयोग करते हैं।
-कोई मुरब्बा,कोई अचार,कोई चटनी,कोई दलघटनी, कोई खटाई,कोई मोदक।
-एक उत्तरआधुनिक बाबा तो इनको केन्डी में बदलकर डब्बा सहित बेच रहे हैं।
-युगों से वैद्यराज इन्हें आंवला,आमला, 
 अमलक,अमलकी,अमृतफल,अमृता आदि अनेक नामों से जानते हैं।
-उस्ताद अमल हैं यानी मल नाशक।मल चाहे त्वचा का हो,या रूह का,पेट का हो या सिर का,बाल का हो छाल का,दांत का हो या आंत का,रक्त का हो या पित्त का।
-अस्सी पर एक डॉक्टर गया सिंह हैं।किताब से लेकर फ़िल्म तक हर जगह होते हैं और जहां वे होते हैं बकौल वाचस्पति वे ही ज़िंदा होते हैं बाकी सब मुर्दा।वे सत्तर से ऊपर के जवान हैं।राज यह अमलकी ही है।
-कहते हैं बाबू गया सिंह बारहों मास आध सेर अमलकी भिंगोकर पानी पी जाते और आंवला खोपड़ी पर घण्टों रगगड़ते।उनके खल्वाट की चमक और ज्ञान की धमक में अमलकी का ही योगदान है।
- सौ से अधिक गुण हैं उस्ताद के।आप वेद,निघण्टू शास्त्र,पतंजलि दर्शन से लेकर  पतंजलि डब्बा पर लिखे इश्तेहार से इनके फायदे जान सकते हैं।
-आजकल कब्ज केवल बुद्धिजीवी को ही नहीं बल्कि पिज्जाबर्गरमैगीमेक्रोजीवी के लिए सबसे बड़ा रोग है।कहते हैं कब्ज से सृष्टि के सारे दैहिक दैविक भौतिक वैचारिक आत्मिक लौकिक पारलौकिक रोग पैदा होते हैं।
-कब्ज बवासीर का जनक है और अमृतफल नाशक।कृपया दोनों तरह के बवासीरी बौद्धिक ध्यान दें।
-त्रिगुण और त्रिदोष की तरह त्रिफला आज भी न्यू मेडिसिन का बाप है।वह हर्र बहेड़ा के कारण कम,अमलकी के कारण ज्यादा।
-जब सबके कलेजे पर मिस्टर कोरोना पालथी मारकर बैठ ही गया है और टेंटुआ ही दबा दे रहा है तब फेफड़े की मजबूती और उदर रक्त की तंदुरुस्ती के लिए यानी मिस्टर कोरोना का पसीना छुड़ाने के लिए आप भी Mr VC से जुडिए।
-ये रेसिस्टेन्स पावर के पावर हाउस हैं। 
-मेरे तो आंगन में ही हैं।यह तस्वीर आंगन की ही है।
-शाम सुबह मैंने इनका एक गुण और देखा है।सुबह में सारी पत्तियां पंखों की तरह खुल जाती हैं और दिन भर  खटने के बाद शाम को बंद हो जाती हैं।यह दूरदर्शन नहीं,निकट दर्शन है।
-आजकल तो बिना अनुभव के लेखक लेख और कवि कविता टीपते रहते हैं।चमगादड़ हो या आंवला फल विकिपीडिया पढ़कर ही गढ़ दे रहे हैं।सरौता और सोता,त्राटक और पाठक दस्त कर   मुक्त हो जाते हैं।कब्ज और दस्त ठीक रहे तो शब्द भाव का भी कल्याण हो सकता है।
-अगर प्रकृति से जुड़ें तो विकीकवि को विकिपीडिया रोग और वेबिबौद्धिक को वेबिनार सोग से मुक्ति मिल सकती है।इसे विचार क्षेत्र में आप अमलक गुण विस्तार कह सकते हैं।
-मेरे परिसर से अमलक साहब का  गहरा नाता है।इसीलिए इनकी छाया तले व्यायाम करना मुझे भाता है।
Ramagya Shashidhar

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