{निधन दिवस,27 मई}
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©रामाज्ञा शशिधर,बनारस
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आज भारतीय गणतंत्र के सर्वश्रेष्ठ शिल्पकार जवाहरलाल नेहरू की निधन तिथि है।
स्वाधीनता संग्राम के सच्चे लड़ाकों की 'विविधवर्णी कल्पनाशीलता' से भारतीय गणतंत्र और जनतंत्र की नींव रखनेवाले नेहरू ने 1947 से 1964 के बीच जिस 'आइडिया ऑफ इंडिया' की स्थापना की,आज उसके स्तम्भों को क्रोनी पूंजी के कट्टर दीमक या तो खोखला कर रहे हैं या बाजार में कौड़ी के मोल बेच रहे हैं।
अंग्रेजी की सामग्री से अलग राष्ट्रकवि दिनकर की पुस्तक 'लोकदेव नेहरू' और आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल की संपादित पुस्तक 'भारत माता कौन हैं' हर युवा को पढ़नी चाहिए।
दिनकर लाइब्रेरी रिसर्च सेंटर,वाराणसी से भी बनारस के युवा इन पुस्तकों को हासिल कर पढ़ सकते हैं।
बात बात पर जेपी को 'लोकनायक' कहने वाले भूल जाते हैं कि विनोबा भावे ने जयप्रकाश नारायण को दिए संबोधन से पहले नेहरू को सोच समझकर 'लोकदेव' कहा था।
आजकल कट्टर,क्रूर और पाखंडी शासक को 'परलोक देव' बनाने की संघी मुहिम के समांतर नेहरू के 'लोक देव' वाली छवि पर नई बहस की जरूरत है।
कहना न होगा कि दिनकर ने सत्ता,समाज,इतिहास और राजनीति के कड़े आलोचक होते हुए नेहरू की निर्मम समीक्षा की है।उसके बावजूद वे उनकी नजर में लोकतांत्रिक भारत के ठोस निर्माता थे।
एक दशक से हवाट्सप यूनिवर्सिटी के माध्यम से 'गोबरग्रस्त सामूहिक दिमाग' निर्माण के लिए एकसूत्री कुतर्क व चरित्रहनन अभियान चल रहा है जिसमें नेहरू खानदान की जितनी खुदाई हुई है उतनी खुदाई अगर कट्टर व कुतर्क सेवक हिन्दू सभ्यता की कर लेते तो उसका सचमुच उद्धार हो गया होता।
सबसे ज्यादा वैचारिक धुंध भारतीय गणतंत्र को मटियामेट करने के लिए फैलाया गया है।
आज भारत माता कौन है -का उत्तर नई पीढ़ी के पास मुश्किल से मिल सकता है।
झंडों,डंडों,नारों,गलियों,तालियों,हत्याओं,दंगों,चुनावों,
ट्रोलों,अम्बानियों,नादानियों,युद्धों,हथियारों में भारतीय राष्ट्र की खोज करने वाले दिमाग 'गोदी मीडिया' के दिग्भर्मित व स्मृतिविहीन क्राफ्ट हैं जिन्हें अपने निकट अतीत से काटकर सुदूर पुराण युग में फेंक दिया गया है।
ऐसे समय में नेहरू और उनकी भारत माता की खोज से हम ज्ञान की उस दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं जहां गणतंत्र के ढहते अवशेष को बचाया जा सके।इतना ही नहीं,अब तो नए सिरे से कोशिश करनी होगी कि बिखरते हुए जनतंत्र का ठोस नवनिर्माण कैसे हो।
आधुनिक भारत के सच्चे निर्माता,भारतीय आत्मा के इतिहासकार,स्वाधीनता सेनानी और विख्यात स्कॉलर को 135 करोड़ जन की ओर से निधन तिथि पर राष्ट्रीय श्रद्धाजंलि!
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