युवा कवि संगम
पाठक मित्रो! समाचार में दी गयी कवियों की सूची आयोजक मंडल का अपना निर्णय है. फेस बुक पर कुछ साथियों ने सूची पर सवाल उठाये हैं.मेरा उनसे अनुरोध है कि सवाल को जनतांत्रिक और स्थाई बनाने के लिए ब्लाग पर टिपण्णी करें- माडरेटर
काशी हिंदी कविता की कर्मभूमि है. कबीर,तुलसी,रैदास,भारतेंदु,प्रसाद,नजीर,त्रिलोचन,धूमिल,ज्ञानेंद्रपति से लेकर अलिंद तक. काशी हिंदू विश्वविद्यालय कविता पोषक गर्भगृह रहा है. बच्चन,सुमन,केदारनाथ सिंह,विजेन्द्र,गोरख पांडेय,माहेश्वर आदि से लेकर अरविंद अवस्थी,अनुज लुगुन तक इसके प्रमाण हैं. कविता-नदी के कई रूप अनवरत प्रवहमान रहे हैं.
यह धर्म की नगरी में धर्मनिरपेक्ष कुम्भ होगा.देश में कुश्ती का आरंभ एक महाकवि तुलसीदास ने किया था और वह भी काशी से. बनारसी नामवर सिंह का कहना है "बनारस हिंदी सहित्य का पानीपत है."हिंदी कविता जब जन से बहुत दूर अंतरिक्ष यात्रा पर है, कविता का जन से मिलना जुलना अपनी आवोहवा में शामिल होना है,अपने पुआल और सरपत के छप्पर वाले घर में लौटना है. इस कविता संगम की सदारत करेंगे पूरावक्ती कवि ज्ञानेन्द्रपति जो कविता खोजते हुए कभी रेलवे पुल की ऊंचाई पर पाए जाते हैं और कभी बनारसी घाटों की खाई में.
काशी हिंदी कविता की कर्मभूमि है. कबीर,तुलसी,रैदास,भारतेंदु,प्रसाद,नजीर,त्रिलोचन,धूमिल,ज्ञानेंद्रपति से लेकर अलिंद तक. काशी हिंदू विश्वविद्यालय कविता पोषक गर्भगृह रहा है. बच्चन,सुमन,केदारनाथ सिंह,विजेन्द्र,गोरख पांडेय,माहेश्वर आदि से लेकर अरविंद अवस्थी,अनुज लुगुन तक इसके प्रमाण हैं. कविता-नदी के कई रूप अनवरत प्रवहमान रहे हैं.
यह धर्म की नगरी में धर्मनिरपेक्ष कुम्भ होगा.देश में कुश्ती का आरंभ एक महाकवि तुलसीदास ने किया था और वह भी काशी से. बनारसी नामवर सिंह का कहना है "बनारस हिंदी सहित्य का पानीपत है."हिंदी कविता जब जन से बहुत दूर अंतरिक्ष यात्रा पर है, कविता का जन से मिलना जुलना अपनी आवोहवा में शामिल होना है,अपने पुआल और सरपत के छप्पर वाले घर में लौटना है. इस कविता संगम की सदारत करेंगे पूरावक्ती कवि ज्ञानेन्द्रपति जो कविता खोजते हुए कभी रेलवे पुल की ऊंचाई पर पाए जाते हैं और कभी बनारसी घाटों की खाई में.
हिंदी विभाग के शोधार्थियों द्वारा आमंत्रित कवि हैं-
निर्मला पुतुल
पवन करण
हेमंत कुकरेती
बद्रीनारायण
आशुतोष दूबे
कुमार मुकुल
श्रीप्रकाश शुक्ल
आशीष त्रिपाठी
आशुतोष दूबे
कुमार मुकुल
श्रीप्रकाश शुक्ल
आशीष त्रिपाठी
रामाज्ञा शशिधर
पंकज चतुर्वेदी
व्योमेश शुक्ल
जीतेंद्र श्रीवास्तव
नीरज खरे
आर चेतन क्रांति
प्रेम रंजन अनिमेष
अनिल त्रिपाठी
यतींद्र मिश्र
मनोज कुमार झा
शैलेय
बसंत त्रिपाठी
गिरिराज किराडू
शिरीष कुमार मौर्य
रवींद्र स्वप्निल प्रजापति
तुषार धवल
अरुणदेव
हरेप्रकाश उपाध्याय
अरुण शितांश
राकेश रंजन
निशांत
रंजना जायसवाल
प्रांजलधर
वाज़दा खान
कुमार अनुपम
ज्योति किरण
शिव कुमार पराग
प्रमोद कुमार तिवारी
वंदना मिश्र
कुमार वीरेंद्र
राहुल झा
वर्तिका नंदा
अरुणाभ सौरभ
अनुज लुगुन
श्रीकांत दूबे
अलिंद उपाध्याय
सुधांसु फ़िरदौस
सोमप्रभ
मिथिलेश शरण चौबे
9 टिप्पणियां:
Jaroor Aaenge Sir.
Kai saari doosri wajahon se Bhi.
बधाई और सफल आयोजन के लिए अग्रिम शुभकामनायें.
sundar aayojan. shubhkaamnaayen.
कार्यक्रम के लिए बधाई मगर उमाशंकर, गौरव सोलंकी, गीत चतुर्वेदी, प्रदीप जिलवाने, मोहन कुमार डहेरिया, संतोष चतुर्वेदी, ज्योति चावला जैसे कुछ जरूरी नाम सूची से गायब है.
यह सूची नहीं बस कुम्भ ही है भाई…
आप लोगों की कुंभ-आकुलता आयोजकों के लिए शुभ-संकेत है। बता दूं कि यह सूची तो सिर्फ आयोजन-मंडली के शोधार्थियों द्वारा जारी है। पानीपत की पद-गरिमा से विभूषित बनारस की हृदयस्थली हिन्दी विभाग(बीएचयू) में जनप्रिय कवियों(अध्यापकों और प्राध्यापकों) की जो नई खेप मौजूद है उसकी समझ और कुंभ-दृष्टि बेहद तीक्ष्ण और पैनी है...अतः जो नाम गायब हैं...बुलाहटा उन तक के अलावे दूर-क्षितिज के उस लोक तक पहुंचायी गई है जिसको लेखक अंतरिक्ष-यात्रा का सहयात्री मानकर चल रहा है। ऐसे जनचेतनशील कवियों और लोक-अध्यापकों की उपस्थिति में कुंभ का जो हर्ष प्राप्त होगा...उसकी भाव-भूमि पर इतिहास लिखा जाएगा। बस आप धैर्य का वरण तो कीजिए। आमीन!
-राजीव रंजन प्रसाद, शोध-छात्र(प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता), बीएचयू,
krishna mohan jha, pakaj chatuvedi, umashanker chaudhari jaise logo ka naam tak nhi hai, fir bhi karyakram k liye badhae
बढ़िया आयोजन .इससे जरूर नई उर्जा मिलेगी
आपका यह कविता घाट, हिंदू कवियों का घाट है क्या? मुसलमानों और दलितों के प्रति आपका नजरिया यहां स्पष्ट झलकता है... ख़ैर क्या करेंगे आप, जब आपके देश में अदालत भी फ़ैसले का आधार आस्था को बनाने लगे हैं तो आप पर काशी के हिंदुत्व का असर क्यों न पड़े...
-दीपक दिनकर
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