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07 सितंबर, 2010

यह बनारस है

यहाँ चायबाज चाय पीते नहीं, लड़ाते-भिड़ाते हैं.






  • यहाँ परदेशी साधक सुरंग  से शंख फूंकते हैं.









  •                 यहाँ सांढ़ गुलाब खाते हैं.