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30 सितंबर, 2010

संतो,देखत जग बौराना

कबीर


संतो,देखत जग बौराना
सांच कहौं तो मारन धाबे
झूठे जग पतियाना
हिन्दू कहे मोरे राम पियारा
तुर्क कहे रहिमाना
आपस में दोऊ लरि लरि मूए
मर्म न काहू जाना
कहै कबीर सुनो हो संतो
ई सब भरम भूलाना

1 टिप्पणी:

ओशो रजनीश ने कहा…

अच्छी पंक्तिया लिखी है ........

इसे पढ़े और अपने विचार दे :-
क्यों बना रहे है नकली लोग समाज को फ्रोड ?.