रामाज्ञा शशिधर
उनका ताना बाना जगह बेजगह टूट चुका है।अँधेरी कोठरी इस मुल्क की तरह।गर्दन तक लटके हुए जाले फंदे की तरह।टंगा हुआ जकात अतीत के साये की तरह।सामने तनी पगिया जंजीर की तरह।कमर तक गड्ढे में धंसे हुए दोनों सूखे पांव कब्र की तरह।ताने को रेशम के बाने से भरती हुई ढरकी भविष्य की तरह।
उनका ताना बाना जगह बेजगह टूट चुका है।अँधेरी कोठरी इस मुल्क की तरह।गर्दन तक लटके हुए जाले फंदे की तरह।टंगा हुआ जकात अतीत के साये की तरह।सामने तनी पगिया जंजीर की तरह।कमर तक गड्ढे में धंसे हुए दोनों सूखे पांव कब्र की तरह।ताने को रेशम के बाने से भरती हुई ढरकी भविष्य की तरह।
बनारस में बुनकर |