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30 मई, 2024

दिल्ली के प्रतिरोध में काशी का ऐलान!

दिल्ली के प्रतिरोध में काशी का ऐलान
तू मेट्रो की उड़नपरी मैं पैदल की शान

ढाय फुटी पैदल गली पांच फुटी है कार
दिल्ली तेरी नीतियां  काशी में बेकार

रिक्शा तांगा बाद में मोटर चले पछाँह
 काशी चाल सनातनी पैदल तानाशाह

साँढ़ सड़क पागुर करे हूटर करे सलाम
बाएं में दायां घुसे काशी चक्का जाम

भारतेंदु की गली में पिज़्ज़े का व्यापार
नई चाल में ढल रहा हिंदी का बाजार

चेला चइला बन खड़ा लेटा गुरुआ लाश
इक दूजे को जलाकर बांटे जगत सुवास

चल जिह्वा झट कूद जा बाटी चोखा भोज
मेगी बर्गर ब्रेड खा ऊब गया मन रोज

काशी पृथ्वी से अलग रुकी घड़ी का नाम
महाकाल की देह पर करे सदा विश्राम

धरती पर चूल्हा जले अंबर जले मसान
धुआं धुआं सब एक है काशी की पहचान

काशी आकर देखिए साँढ़ चरावे शेर
मुर्दा मुख गंगा बसे डमरू फलते पेड़
                                 

चलती चाकी देखकर  कबिरा मारे तान
चूना से कत्था मिले रंग बदल दे पान
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 सड़क के कवि रामाज्ञा शशिधर के दोहे

03 दिसंबर, 2023

ठलुओं का अस्सी फिर फिर जवान

 {राश की डायरी}
     घलुए की चाय, हलुए का पान
     ठलुए का अस्सी फिर से जवान


अस्सी उवाच: 
आप भी सुनिए!

   " काशीनाथ सिंह को भरम हो गया। वे माया महाठगिनी के शिकार हो गए। कलियुग माथे पर सवार होना ही था! इसीलिए तो सुंदर मुहल्ला अस्सी छोड़कर सुंदरपुर चले गए!"

     " आजकल ' रेहन पर रग्घू' हैं।"
     
      "कौन चूतिया कहता है कि अस्सी मर गया! अस्सी प्रसव से गुजर रहा है! उसका पुनर्जन्म हो रहा है!

     आप पूछेंगे, कैसे!"
        
      "अव्वल तू हौआ के ? पूछै वाला!"
        
       " पूछे तो सुन ही लीजिए!"
     
      "ये हैं बदरी विशाल!"
       "बरसना है बदरी का-
  " अस्सी पर गालियों का प्रथम रिसर्चर हूँ मैं। सिर्फ मैं बता सकता हूँ कि पृथ्वी की प्रथम गाली और  प्रथम पंडिताई का जन्म यहां से हुआ है! मैं चालीस साल कवि सम्मेलन में कविता में गाली  बांचता रहा। कवि सम्मेलन में मंदी आ गई तो गंगा आरती पकड़ ली। गंगा आरती में आजकल वेद मंत्र बांचता हूँ। दोनों को ज़माना दिल थाम कर सुनता है!"
    " है कोई दूसरा माई का लाल जो एक साथ गाली और मंत्र को साध ले! और जिसे ज़माना स्वीकार ले!"
        ...
     यह तो सिर्फ 14 सेकंड की रील है। 
          ... 
        यह है ज़िंदा अस्सी! किलकारी मारता हुआ
      नव शिशु!
      
           बीकानेर से आए मेरे लेखक साथी नवनीत पांडेय  और उनके सहयात्री अवाक! 
        
         बीकानेरी कथन का स्वाद फेल हुआ या काशीनाथ का काशी का अस्सी, यह दूरबीन से नहीं खुर्दबीन से खोजना होगा।!
    
       माइक्रोस्कोप से पकड़ने के लिए पहले पान का बीड़ा बनिए या नाली का कीड़ा! 
         
           बकैती या फकैती में अस्सी आपका गुरु था, है और रहेगा!
  
     V लॉग से पकड़ में जो नहीं आए वह है काशी और उसका अस्सी!
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रामाज्ञा शशिधर
    जारी...