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02 जून, 2021

काशी में मछली भोज

रामाज्ञा शशिधर :मेरी डायरी के पन्नो से पुरानी थाती
#काशी में माछ रोटी #
काशी के दशाश्वमेध घाट पर जब  परमहंस का प्रिय प्रसाद,
विवेकानन्द का परमप्रिय व्यंजन और
बाबा नागार्जुन की सुस्वादू तरकारी
से मुलाकात हुई तो मेरे लिए काशी
और हिन्दू तत्व का दूसरा द्वार खुला।
बड़े प्रेम से इचना उर्फ़ झींगा उर्फ़ प्रांस उर्फ़ चेम्मिन को बंगाली शैली
में बनाया। न्यौता तो कइयों को दिया
लेकिन पास सिर्फ चौबे महाराज हुए।
मक्के की रोटी के साथ नारियल पेस्ट
वाले माछ खाकर चौबे बाबा 24 घंटे
सोए रह गए। बोले ऐसा नशा तो कभी
आया ही नहीं। बेचारे तिवारी जी,
उपाध्याय जी,पांडे जी लोकलाज के
फेर में पानी फल से वंचित रह गए।
जब से उन्हें यह पता चला है कि विवेका
नन्द के अंतरराष्ट्रीय दिमाग में माछ
का बड़ा योगदान था वे अपनी खोपड़ी
से बेहद खफा हैं। अगली बार मैं 10
शैलियों में अपनी चिर परिचित दूसरी 
पाक शैली अर्थात मैथिल झोर शैली का प्रयोग
करूंगा। आप भी कंठी तोड़कर आ जाइए।

रामाज्ञा शशिधर की डायरी


{कोविड समय}
कठिन समय के दो साथी हैं:1.प्रकृति 2.किताबें
 ऑनलाइन कक्षाएं ब्लैक होल की तरह लगती हैं।जहां बातचीत का कोई सिरा ही नहीं मिलता।
आप पूछेंगे कि कॉफी-चाय रेस्तरां से दूर डायलॉग किस्से करता हूँ तो:
-दोस्त की तरह संवादी 1.गौरैया,बगेड़ी,मोर,कोयल,टिटहरी,काठखोदवा
2.छितवन,बादाम,गुलमोहर,बेल,जामुन,कटहल,आम,आंवला(ओह!पारिजात विपत्ति में सूख गया है!)
3.बुद्ध,कबीर,फ्रायड,मार्क्स,गांधी,नेहरू,दिनकर
4.व्हिटमैन,ब्रेख्त,मार्खेज, महमूद दरवेश
5.ग्रीन टी,वेनेगर,क्वाथ,गिलोय,सत्तू,सलाद और गरम पानी
6.मिट्टी,आकाश,सूर्य,चांद, सितारे और अंधकार
7.जो गुज़र गए या संघर्षरत
        इंतज़ार  फेसबुक पर नई अनहोनी का रहता है और जनता के इंकलाब का।
         फेसबुक खोलते ही लगता है कि श्रद्धांजलि ही सरोकार है।
       /ज़िंदगी इतनी सी है/
                                  ∆रामाज्ञा शशिधर
@दिनकर लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर,वाराणसी