दोस्तो!
कविता के पुराने प्रतिबद्ध कार्यकर्ता होने के बावजूद काव्य प्रकाशन और प्रदर्शन को लेकर मैं बेहद शर्मीला और आलसी आदमी हूँ.आप पाठकों की हौसला आफज़ाई का नतीजा है कि सितम्बर २०११ में अंतिका प्रकाशन से अपनी ६९ कविताओं का संकलन बुरे समय में नींद ला पाने में सफल हुआ.मेरे लिए यह उत्तेजक उपलब्धि है कि इस काव्य विरोधी समय में बुरे समय में नींद का पहला संस्करण सिर्फ छह महीने में बिक गया तथा प्रकाशक ने जल्द ही दूसरा संस्करण छापने का आश्वासन दिया है.अनेक दोस्तों ने कई महीने से लगातार मांग की है कि मैं एक साथ अपनी कुछ प्रिय कविताओं को परोसूं.आपके लिए मैं संकलन से अपनी ११ प्रिय कवितायें आपके हवाले कर रहा हूँ.उम्मीद है कि आस्वाद और मूल्य दोनों स्तरों पर आप इनसे जुड़कर आत्मीयता महसूस करेंगे.
आपका
रामाज्ञा शशिधर