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30 मार्च, 2013

मैं साम्यवादी नहीं था :मार्टिन नीमोलर

मार्टिन नीमोलर (1892-1984) की  आप बीती 


पहले वो आए साम्यवादियों के लिए
और मैं चुप रहा 
क्योंकि मैं साम्यवादी नहीं था 


फिर वो आए मजदूर संघियों के लिए
और मैं चुप रहा 
क्योंकि मैं मजदूर संघी नहीं था 

कविता में किसान




  रामप्रकाश कुशवाहा 

    चिंतक  एवं  लेखक                                              

हिन्दी कविता में किसान-जीवन और यथार्थ की उपसिथति-अनुपसिथति के बढ़ते-घटते ग्राफ को समझने के लिए हमें साहित्य से पहले हिन्दी-क्षेत्र के अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र को समझना होगा । यह एक दुखद सच्चार्इ है कि औधोगिककरण,शहरीकरण,बाजारवाद और भूमण्डलीकरण की दिशा में हुए देश के विकास तथा सरकारी नीतियों नें