समयांतर,मासिक के दिसंबर,२०१४ के अंक में प्रकाशित यह रिपोर्ताज बनारसी बुनकरों की तबाही की व्यथा कथा है.
रामाज्ञा शशिधरबनारस प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। बनारस हिन्दुओं की आस्था और बुनकरों की आर्थिक गतिशीलता का भी शहर है। वह अपनी सांस्कृतिक संरचना में श्लघु भारत जैसा जनपद है और प्राचीनता में रोम या एथेन्स जैसा। इस नगर और जनपद का रेशम, करघा और कपड़े के कारोबार से रिश्ता महात्मा बुद्ध के समय से है। जातक कथाओं में काशी के चीनांशुक का जिक्र मिलता है। फिलहाल बनारस बुनकरों की वर्तमान तंगहाली,तबाही और मोदी.घोषणा से अखबारों की सुर्खियों में है।
राजू बुनकर की फांसी की रस्सी |
राजू बुनकर के पिता और पुत्र |
नवम्बर के पहले सप्ताह में सांसद एवं प्रधानमन्त्री मोदी बनारस आए। हिन्दुओं और पर्यटकों का केन्द्र अस्सी घाट पर कुदाल चला. जयापुर गांव को गोद लिया गया तथा बुनकर व्यापार सुविधा केन्द्र का प्रेमचन्द्र के गांव लमही से कुछ ही दूरी पर बड़ा लालपुर में उदघाटन हुआ। जयापुर को आदर्श ग्राम बनाने के लिए एनजीओ, प्रशासन, नेता, उद्योग जगत के लोगों ने ऐसा अभियान चलाया है कि हर ग्रामीण पर चार विकासकर्ता सवार हैं. वहीं अस्सी घाट पर मोदी की कुदाल वाली जगह से पचास फीट नीचे तक रेत-मिट्टी गायब है। अस्सी घाट की पाताली सीढ़ी का आखिरी प्लेटफार्म झांक रहा है तथा जिला प्रशासन ने सुबह-ए-बनारस का आगाज करते हुए वेद मंत्र, संगीत, आरती, योग और पूजा पाठ की धूम मचा दी है। इस तरह काशी को क्योटो बनाने की पहली पहल शुरू हो गर्इ है। क्योटो कथा की व्यथा छोडि़ए क्योंकि यह अभी सिर्फ कागजी बाघों का जिम कार्बेट बन पाया है।