तुलसी जयंती पखवाड़ा २०१४ पर विशेष पेशकश
गोस्वामी जी को श्रद्धांजलि स्वरूप पन्द्रह मुखियामार दोहे समर्पित हैं.क्यों? इसलिए कि महाकवि के एक मुखियामुखी आदर्श दोहा 'मुखिया मुख सो चाहिए खान पान में एक/पालहिं पोसहिं सकल अंग तुलसी सहित विवेक ' को यह फक्कड़ कवि इन दोहों का प्रेरणा बीज मानता है.अस्सी भदैनी वाले गोस्वामी बाबा की तरह इस पीड़ित, प्रताड़ित,बहिष्कृत,उपेक्षित बनारसी तुक्कड़ कवि का शब्द बीज अँखुआ उठा. मुखिया और मुख केंद्रित हर दोहे को ट्रुथ सीरम,मेटल डिटेक्टर,सीसीटीवी,माइक्रो केम,उत्तल अवतल समतल लेंस समझकर
आनंद लीजिए तभी मुखिया के मुख से उनकी आत्मा तक का काशी दर्शन कर सकते हैं.आजकल के कवि महाकवि की कविता चुराकर अपनी बताते हैं,यह तुक्कड़ अपनी तुकबंदी को महाकवि की कहने का दुस्साहस कर रहा है..जब कबीर,नानक,रविदास,मलूक में जोड़कर आप काम चला रहे थे तब यह कवि आपसे शिकायत करने नहीं गया,फिर तुलसी पर कोई करे हाय तौबा क्यों? जो नए बाबा लोग फेसबुक तक नहीं जाना चाहते और इस कवि से मुखियामुखी दोहों की मांग कर रहे हैं यह पोस्ट उनके लिए भी है-रामाज्ञा शशिधर मुखिया के मुख से बचो मुख में सौ संसार
पान सुपारी लौंग सा चांपे बेड़ा पार
मुखिया का चेहरा सरल जैसे गोमुखबाघ
भीतर मलजल सा बहे प्रतिशोध की आग
मुखिया के जीभन छुरी मुख में नकली राम
जो भी जबड़े में घुसा उसका काम तमाम
पंचायत में सतयुग सेवित एकल कुर्सी खास
परंपरा की खटमल के संग मुखिया का रहवास
मुखिया के दरबार में हर दिन लगती खाप
हर स्वाधीन विचार का दमन क़त्ल और चाँप
नख शिख गलकर ठाठ का उड़ गया उड़न कपूर
हिरिस न मुखिया का मिटा ठठरी खोजे हूर
मुखिया को मुखियाइन से घर में पड़ती चोट
सड़ा मसूडा प्यार का तोड़े जग अखरोट
गोत्र मूल निज जात की शहनाई दिन रात
बिन शादी द्वारे सजे मुखिया की बारात
मुखिया को नर से घृणा चाह श्वान की पूँछ
मरी खाल के गाल पर सोहे पूंछ की मूंछ
मुखियाजी के गोल में मुखबिर मुखबिर भाय
कुछ की कीमत अंक में कुछ की दाना चाय
मुखिया के नवराज में गंजा बेचे तेल
हत्यारा रक्षा करे चोर अगोरे जेल
बंटवारे में इस कदर मुखियाजी उस्ताद
बवासीर के खून का छोड़े नहीं मवाद
दिन में लूटे एमडीएम रात में जिंदा गोश्त
ठेके पट्टे का अभियंता मुखियाजी का दोस्त
अच्छे दिन की बात कर लाए दुर्दिन ढेर
मुखिया के नवराज में माटीचोर कुबेर
मुखिया मुख सा ना भला खान पान में भ्रष्ट
वात पित्त कफ विकल अंग तुलसी पाए कष्ट
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