📒दिल्ली फाइल-1📒
🌜दिल्ली दूर नहीं उर्फ़ बेगूबनादिली🌛
🎈❤🎈❤🎈❤🎈❤🎈❤🎈
मित्रो!तो आ ही रहा हूँ।
मेरे लिए बेगूसराय खेत है,बनारस खलिहान,और दिल्ली मंडी।एक में बोता काटता हूँ,दूसरे में ओसाता-फटकता हूँ और तीसरे को सप्लाइ करता हूँ।
दिल्ली तो दिल्ली है लेकिन इससे अलग भी मेरी एक दिल्ली है👉जहां मेरे निर्माण के चिह्न बिखरे पड़े हैं।मदनपुर खादर,जामिया,बटला हाउस,दिलशाद गार्डन,शाहदरा,लक्ष्मीनगर,मयूरविहार,मुनिरका,कटवरिया सराय,जेनयू,आईटीओ,मंडी हाउस,श्रीराम सेंटर,डीयू,कनॉट प्लेस,इंडियन कॉफी हाउस,दरिया गंज,जामा मस्जिद,ताल कटोरा,आरएमएल...साहित्य अकादेमी,तीन मूर्ति लाइब्रेरी,सेंट्रल सेक्रेटेरियट लाइब्रेरी, दूरदर्शन भवन,कंस्टीट्यूशन क्लब...।
जगहें आदमी की मिट्टी को चाक की तरह गढ़ती हैं।
और वे कुम्हार जिनमें सफरी, मजूर,मित्र,शिक्षक,लेखक,पत्रकार,डीटीसी ड्राइवर,खानसामे,नटकिए,फुटपाथ किंग,रात के आवारा।
...और संघर्ष के बीच सफर की रूह को सितारों की रोशनी से भरनेवाली झिलमिलाती किरनें जन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।
बनारस सभ्यता का एक ऐसा ताकतवर गुरुत्व क्षेत्र है जिससे वही निकल सकता जो बुद्ध,कबीर,हजारी प्रसाद द्विवेदी और नामवर सिंह जैसा हौसला रखता हो।
मैं इधर जम गया था।बर्फ की तरह नहीं, गाद की तरह।इस सिल्ट को मानसूनी पानी का नया रेला काटने आया।उस रेले का नाम है घुम्मकड़ उस्ताद राहुल सांकृत्यायन।राहुल बाबा की मुहब्बत में जब मैं हिमालय के दर्रों में भटक सकता हूँ तो दिल्ली कितनी दूर है!
वे मेरे इतने प्रिय हैं कि सिमरिया से कनैला तक घुमाते रहते हैं।काशी के माउरबाजों और नक्कालों से बचाने का गुप्त मंत्र भी देते रहते हैं।
23 से 25 दिल्ली में आप उस्तादों,मित्रों और विद्यार्थी साथियों से आत्मीय रंग मिलेगा इसकी गारंटी है।
फिर कहूँगा 'बेगूबनादिली'।
29 अगस्त, 2018
मेरे लिए दिल्ली 'मंडी हाउस' है:रामाज्ञा शशिधर
साहित्य लेखन , अध्यापन, पत्रकारिता और एक्टिविज्म में सक्रिय. शिक्षा-एम्.फिल. जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा पी.एचडी.,जे.एन.यू.से.
समयांतर(मासिक दिल्ली) के प्रथम अंक से ७ साल तक संपादन सहयोग.इप्टा के लिए गीत लेखन.बिहार और दिल्ली जलेस में १५ साल सक्रिय .अभी किसी लेखक सगठन में नहीं.किसान आन्दोलन और हिंदी साहित्य पर विशेष अनुसन्धान.पुस्तकालय अभियान, साक्षरता अभियान और कापरेटिव किसान आन्दोलन के मंचों पर सक्रिय. . प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए कार्य. हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं हंस,कथादेश,नया ज्ञानोदय,वागर्थ,समयांतर,साक्षात्कार,आजकल,युद्धरत आम आदमी,हिंदुस्तान,राष्ट्रीय सहारा,हम दलित,प्रस्थान,पक्षधर,अभिनव कदम,बया आदि में रचनाएँ प्रकाशित.
किताबें प्रकाशित -1.बुरे समय में नींद 2.किसान आंदोलन की साहित्यिक ज़मीन 3.विशाल ब्लेड पर सोयी हुई लड़की 4.आंसू के अंगारे 5. संस्कृति का क्रन्तिकारी पहलू 6.बाढ़ और कविता 7.कबीर से उत्तर कबीर
फ़िलहाल बनारस के बुनकरों का अध्ययन.प्रतिबिम्ब और तानाबाना दो साहित्यिक मंचों का संचालन.
सम्प्रति: बीएचयू, हिंदी विभाग में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर के पद पर अध्यापन.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें