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03 अक्तूबर, 2017

भारत राष्ट्रवाद से छद्म राष्ट्रवाद की ओर


आज चबूतरा वाले गांधी जी का जन्मदिन है।संयोग से बनारस और बीएचयू में भी गांधी चबूतरा है।सबसे पहले उन्हें प्रणाम।
          आजकल गांधी जी की सेहत ठीक नहीं।स्वराज्य,सत्य,अहिंसा,चरखा, सत्याग्रह सब बीमार हैं।यह भारत के लिए शुभ संकेत नहीं है।
         यह कौन सा मानवीय मूल्य है?यह कौन सी देशभक्ति है?यह कौन सा सुरक्षातन्त्र है?यह किस तरह से भारत माता की पूजा है?
         हर तरफ हिंसा,दमन,डंडा,धमकी,जूनून,उन्माद,अभियक्ति पर रोक,हत्या,जेल,धाराएं,मुकदमे,उत्पीड़न,अवसाद,निराशा,मंदी।हर तरफ एक तरह की भाषा,एक तरह का जुमला,एक तरह से जीने सोचने खाने पीने हंसने बोलने जीने मरने का आतंक।
        19वीं और 20वीं सदी का भारतीय राष्ट्रवाद डंडा और गुंडा विरोधी था।वह मानवमुक्ति का इंद्रधनुषी राष्ट्रवाद था।
सभ्यता के इतिहास में आदमी के लिए जानवर मारा गया लेकिन अब जानवर के लिए आदमी मारा जा रहा है।
       आधुनिक युग में लेखक और नेता के रिश्तों के तीन मॉडल को देखिए।एक माडल टैगोर और गांधी का था।हर मुद्दे पर टकराव लेकिन बराबर की स्वीकृति।दिनकर और नेहरू का सम्बन्ध जहां समर्थन और विरोध साथ साथ।इन सबके विपरीत आजकल 21 वीं सदी में मार दिए गए लेखक कलबुरगी और वर्तमान सत्ता का सम्बन्ध।
         इस व्यवस्था में मुसलमान,लेखक,स्त्री,छात्र शिक्षक कोई भी तर्कशील दिमाग और स्वतन्त्र हृदय सुरक्षित नहीं दिख रहा है।
         इसलिए हमें अपनी विरासत की बहुलतावादी चेतना की वापसी जल्द करनी होगी।

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